Abstract: भारतीय संस्कृति की विशिष्टता उसकी ऋषि परंपरा में निहित है। यह ऋषि परंपरा केवल आध्यात्मिक साधना तक ही सीमित
नहीं रही बल्कि उसने समाज, नीति और मूल्य-व्यवस्था, धर्म एवं संस्कृति के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और समाज
का मार्गदर्शन किया है। इस परंपरा में ऋषि पराशर एक ऐसे स्मृतिकार हैं जिन्होंने सामाजिक मूल्यों के संरक्षण और संवर्धन का
कार्य किया। वे न केवल धार्मिक द्रष्टा...
1. स्मृतिसंदर्भ:, वॉल्यूम–2, नाग प्रकाशक, दिल्ली, 1988
2. पराशरस्मृतिः, शर्मा, गुरुप्रसाद, चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी, 1998
3. पाराशरस्मृति, शास्त्री, वर्मा, डा॰ रामचंद्र, डायनेमिक पब्लिकेशंस (इंडिया)लिमिटेड, मेरठ
4.हिन्दी-निरुक्त, ऋषि, शर्मा, डा॰ उमाशंकर, चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी, 1961